संजीव ने दोनों चुनाव में रचा इतिहास, सबसे बड़ी जीत, सबसे बड़े जाट लीडर को हराया

Update: 2024-06-03 14:31 GMT

मुजफ्फरनगर। संजीव बालियान भारतीय राजनीति में अचानक उभरे और ध्रुव तारा बनकर अपनी चमक बिखेर रहे हैं। वैसे तो उनका राजनीतिक करियर दस साल का माना जाता है, लेकिन वो छात्र जीवन से ही राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय रहे हैं। संजीव बालियान ने मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पीड़ितों की आवाज को उठाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, इसके लिए उनको जेल तक भी जाना पड़ा। अपने दोनों चुनावों में संजीव बालियान ने इतिहास रचने का काम किया। पहले चुनाव 2014 में उन्होंने 4 लाख से ज्यादा के बड़े और ऐतिहासिक अंतर से जीत हासिल की तो वहीं दूसरे चुनाव 2019 में उन्होंने देश के सबसे बड़े जाट लीडर और पूर्व प्रधानमंत्री चै. चरण सिंह के पुत्र अजित सिंह को पराजित करने का जौहर दिखाया था। दस साल से सांसद संजीव बालियान को उनकी ऐतिहासिक जीत का ईनाम देने में पीएम नरेन्द्र मोदी ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। उनको इन दस सालों में मोदी सरकार में तीन बड़े मंत्रालय संभालने का अवसर मिला। अब एक बार फिर से 2024 की सियासी जंग कें उनके सामने नया इतिहास रचने और भाजपा के प्रत्याशी के रूप में पहली हैट्रिक लगाने का अवसर आया है।

जिले के गांव कुटबा-कुटबी में 23 जून 1972 को किसान परिवार में जन्म लेने वाले संजीव बालियान ने चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से पशु चिकित्सा शरीर रचना विज्ञान में डॉक्टरेट सहित अपनी डिग्री प्राप्त की। अपनी शिक्षा के दौरान, वह एक छात्र नेता थे और राजनीति में बहुत सक्रिय थे। उन्होंने हरियाणा सरकार में सहायक प्रोफेसर और पशु चिकित्सा सर्जन के रूप में कार्य किया। उनकी पत्नी सुनीता बालियान भी हरियाणा सरकार में पशु चिकित्सक रहीं। उनके दो बेटियां केतकी और ताज हैं। संजीव बालियान ने वीआरएस लेने के बाद साल 2012 में राजनीतिक सक्रियता शुरू कर दी थी। वो भाजपा से जुड़े और उन्होंने 2012 में कुटबी में नितिन गडकरी की एक बड़ी रैली का आयोजन कर अपने इरादे जाहिर कर दिये थे। इसके बाद 2013 में कवाल कांड से जिले में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क गई। 2014 का चुनाव दंगों की तपिश में हुआ। भाजपा ने संजीव बालियान को प्रत्याशी बनाया। उनके सामने सीटिंग सांसद कादिर राणा बसपा से प्रत्याशी थे। इस चुनाव में संजीव बालियान ने मोदी मैजिक के सहारे एक तरफा जीत हासिल की और कादिर राणा को 4 लाख एक हजार 150 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया। वो सरकार में मंत्री बनाये गये और पहले कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण तथा बाद में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा कायाकल्प विभाग में राज्यमंत्री बने। सितंबर 2017 में उनको यूपी भाजपा संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व दे दिया गया। 2019 के चुनाव में संजीव बालियान के सामने सम्पूर्ण विपक्ष ने रालोद मुखिया चै. अजित सिंह को मैदान में उतारा, इस चुनाव में एग्जिट पोल भी संजीव बालियान की हार दिखा रहे थे, लेकिन परिणाम आये तो घस्सम घस्से के इस चुनाव में संजीव बालियान ने अजित सिंह को 6526 मतों के अंतर से पराजित कर इतिहास रच दिया। पीएम मोदी ने उनको फिर से अपनी सरकार में शामिल किया और पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य विकास विभाग के राज्यमंत्री के रूप में पूरे पांच साल वो काम करते रहे। इस बार फिर से संजीव बालियान के सामने त्रिकोणीय मुकाबले में जीत के साथ ही हैट्रिक लगाने की बड़ी चुनौती है। इस चुनाव में संजीव जीते तो तीसरी बार वो ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाले साबित होंगे और आजादी के बाद मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर किसी भी पार्टी के प्रत्याशी की यह व्यक्तिगत पहली हैट्रिक होगी।

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